इक अजीब सा डर सा रहता है,
क्या होगी ज़िंदगी तेरे बिना।
साथी तोऔर भी मिल जायेंगे,
पर किसको कहूँगा ज़िंदगी तेरे बिना।
पोंचुन्गा किसके आंसू,
देखूंगा किसकी हँसी,
थामुंगा हाथ किसका,
चुमुंगा गाल किसके; तेरे बिना....
इक कसक सी है दिल में ,तेरे बिना;
न आरजू कोई ज़िंदगी में ,तेरे बिना;
इक दर्द सा उठ रहा है दिल में, तेरे बिना;
तन्हाई है हर महफिल में, तेरे बिना।
हर इक बात में याद आती है तू,
करता हूँ आंखें बंद, बनके ख्वाब आती है तू,
सोचता हूँ है यही अंजाम,
जाने कहाँ से बनके इक आस आती है तू,
जानता हूँ दिल बहलाने के तरीके हजारों हैं,
पर न जाने क्यों, कुछ भी न भाये, तेरे बिना।
जब सोचता हूँ की क्यों हो गए हम जुदा,
तो कत्गादे में खड़ा ख़ुद को ही देखता हूँ,
मेरा हर इक गुनाह पलट ले चिपक गया है मुझसे,
कौन सुनेगा मेरी दलील तेरे बिना॥
माना मैं टूट चुका हूँ, छलनीहो चुका हूँ,
पर तेरा दिया हर ज़ख्म एहसास दिलाता है मुझे मेरे गुनाहों का,
मर चुका होता कबका,गर होता मेरे बस में,
क्यों हूँ जिंदा अब तलक , कौन समझेगा तेरे बिना।
जानता हूँ नही काबिल तेरे मैं,
तभी तो पा के खोया है मैंने तुझको,
गर ही लाज ज़रा भी तो बहुत दूर चला जाऊं मैं,
पर क्या करूं ,जहाँ जाता हूँ , कुछ नही दिखता तेरे बिना...
सोचता हूँ कैसे भुला दिए तुने वो तमाम पल.
यहाँ तो आंखें नम हैं उन्ही मीठी यादों से।
जानता हूँ मेरी हर हरकत बस देती है गम तुझे,
पर तू ही बता किस को सुनाऊं हाल-ऐ-दिल तेरे बिना...
इस कदर बेबस हो चुका हूँ मैं अब,
के चाहता हूँ बस यूं ही दफन हो जाऊं।
बन जाऊं पत्थर, हो जाऊं दफन यूं ही,
न कोई ढूँढ पाए मुझे तेरे बिना।
कहना तो चाहता हूँ बहुत कुछ ऐ दोस्त,
पर तेरे वक्त पे अब इतना भी इख्तियार नही।
मुनासिब है अधूरी रहे ये ग़ज़ल भी,
के जैसे अधूरी है ज़िंदगी तेरे बिना.....
की जैसे अधूरी है ज़िंदगी तेरे बिना....
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1 comment:
beautiful poem...
i cud feel every word u hav written..
been in a similar situation..
its hell..
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